Thursday, December 22, 2011

hamko mita sake ye zamane mein dam nahin



hamko mita sake ye zamane mein dam nahin
hamsein zamana khud hain zamane se ham nahin

befaayada aalam nahi bekaar gam nahin
taufeek de khuda to ye nemat bhi kam nahin

meri zuban pe shikva-e-ahal-e-sitam nahin
muzko jaga diya ye ahsaan kam nahin

yaa rab! hujuum-e-gam ko de kucch aur vuusatein
daaman to kya abhi meri aankhe bhi nam nahin

zaahid kucch aur ho na ho maikhane mein magar
kya kam ye hain ke shikva-e-dair-o-haram nahin

marg-e-jigar pe kyon teri aankhein hain ashk rez
ik saanihaa sahi magar itnaa aham nahiin

Wednesday, December 21, 2011

Tum To nahi ho




सुन ली जो ख़ुदा ने वो दुआ तुम तो नहीं हो

दरवाज़े पे दस्तक की सदा तुम तो नहीं हो


सिमटी हुई शर्माई हुई रात की रानी

सोई हुई कलियों की हया तुम तो नहीं हो


महसूस किया तुम को तो गीली हुई पलकें

भीगे हुये मौसम की अदा तुम तो नहीं हो


इन अजनबी राहों में नहीं कोई भी मेरा

किस ने मुझे यूँ अपना कहा तुम तो नहीं हो

Saturday, December 17, 2011

koi haseen khaab dhondhte hai


Dard bhari zindagi ka suraag dhondte hai



Hai andhera bhut yaha eak chiraag dhondte hai



Banaye thy tamasha zindagi ko es tarh



Ke un mherbaano ka elaaj dhondhte hai



Koi en andhero main meri dil ki shmma jala de



Hum apni badnasibi ka raaz dhnodhte hai



Hasrat ka aayina ye pather dil se toot gaya



Sisho ke en tokdo main apna aaj dhondhte hai



Maazi ke tulkh lamho ne hame jhulas ke rakh diya


Dil ko bhulane ke liye koi haseen khaab dhondhte hai

Monday, December 12, 2011

Yaar, Hum Bade Ho Jaate hai


Aankhon mein Khwaab!!
Chehre Par Muskaan!!
Dil mein Khwaishe..
Bade Hone Ke Armaan

Chalte Chalte Yeh Daur
Kaha Kho Jaate hai
Pata Nahi Kyon,
Yaar,Hum Bade Ho Jaate Hai..!!

Ek Halki Si Muskaan Chehre Par
Aaj Bhi Sajaye Baithe Hai!!
Kal Ki Fikar mein Hum,
Apna Aaj Gawaye baithe Hai

Waqt Aur Halaat Ke Mutabik
Hum  To Sawar Jaate Hai
Par Pata Nahi Kyon,
yaar, Bade Ho jaate Hai

Zimmedariyan Bhi
Badhti Reh Gayi
Umar Ke Mutabik Sehat
Ghathti Reh gayi

Masoom Se Khwaab
Palkon mein So Jate Hai
Pata Nahi Kyon
Yaar, Bade Ho Jaate Hai

Khel Bhaag Daud Ke
Ab Zaroorate Khilaati hai
Paise,Status Ke peeche
Har Ek Ko Bhagaati Hai

Aage Bhadne Ki Daud mein Hum Rishto
Ko Peeche Chodd jaate Hai
Pata Nahi Kyon,
Yaar, Hum Bade Ho Jaate Hai

Ruthna-Manana Guzra
Hua Daur Sa Lagta Hai!!
Aaj ka Aadmi Shikayaton
Ko Mann mein Bharta Hai

Hum Apno Se Pal Bhar Mein
Door Ho Jaate hai
Pata Nahi Kyon,
Yaar, Hum Bade Ho Jaate hai

"Khwaish" Apne Dil Ke Dhadkano Ki Suun
yeh Bhi Kuch keh jaate hai!!
Awaaz nahi inme par Yeh Har
Zakhm Duniya ke Seh Jaate Hai

Khilone Toote To Juud Jaaye!!!!!
Dil Toote To Hum Ro Jaate Hai
Pata Nahi Kyon,
Yaar, Hum Bade Ho Jaate Hai

Kafan faad kar murda bola


चमड़ी मिली खुदा के घर से
दमड़ी नहीं समाज दे सका
गजभर भी न वसन ढँकने को
निर्दय उभरी लाज दे सका


मुखड़ा सटक गया घुटनों में
अटक कंठ में प्राण रह गये
सिकुड़ गया तन जैसे मन में
सिकुड़े सब अरमान रह गये


मिली आग लेकिन न भाग्य-सा
जलने को जुट पाया इंधन
दाँतों के मिस प्रकट हो गया
मेरा कठिन शिशिर का क्रन्दन


किन्तु अचानक लगा कि यह,
संसार बड़ा दिलदार हो गया
जीने पर दुत्कार मिली थी
मरने पर उपकार हो गया


श्वेत माँग-सी विधवा की,
चदरी कोई इन्सान दे गया
और दूसरा बिन माँगे ही
ढेर लकड़ियाँ दान दे गया


वस्त्र मिल गया, ठंड मिट गयी,
धन्य हुआ मानव का चोला
कफन फाड़कर मुर्दा बोला ।


कहते मरे रहीम न लेकिन,
पेट-पीठ मिल एक हो सके
नहीं अश्रु से आज तलक हम,
अमिट क्षुधा का दाग धो सके


खाने को कुछ मिला नहीं सो,
खाने को ग़म मिले हज़ारों
श्री-सम्पन्न नगर ग्रामों में
भूखे-बेदम मिले हज़ारों


दाने-दाने पर पाने वाले
का सुनता नाम लिखा है
किन्तु देखता हूँ इन पर,
ऊँचा से ऊँचा दाम लिखा है


दास मलूका से पूछो क्या,
'सबके दाता राम' लिखा है?
या कि गरीबों की खातिर,
भूखों मरना अंजाम लिखा है?


किन्तु अचानक लगा कि यह,
संसार बड़ा दिलदार हो गया
जीने पर दुत्कार मिली थी
मरने पर उपकार हो गया ।


जुटा-जुटा कर रेजगारियाँ,
भोज मनाने बन्धु चल पड़े
जहाँ न कल थी बूँद दीखती,
वहाँ उमड़ते सिन्धु चल पड़े


निर्धन के घर हाथ सुखाते,
नहीं किसी का अन्तर डोला
कफ़न फाड़कर मुर्दा बोला ।


घरवालों से, आस-पास से,
मैंने केवल दो कण माँगा
किन्तु मिला कुछ नहीं और
मैं बे-पानी ही मरा अभागा


जीते-जी तो नल के जल से,
भी अभिषेक किया न किसी ने
रहा अपेक्षित, सदा निरादृत
कुछ भी ध्यान दिया न किसी ने


बाप तरसता रहा कि बेटा,
श्रद्धा से दो घूँट पिला दे
स्नेह-लता जो सूख रही है
ज़रा प्यार से उसे जिला दे


कहाँ श्रवण? युग के दशरथ ने,
एक-एक को मार गिराया
मन-मृग भोला रहा भटकता,
निकली सब कुछ लू की माया


किन्तु अचानक लगा कि यह,
घर-बार बड़ा दिलदार हो गया
जीने पर दुत्कार मिली थी,
मरने पर उपकार हो गया


आश्चर्य वे बेटे देते,
पूर्व-पुरूष को नियमित तर्पण
नमक-तेल रोटी क्या देना,
कर न सके जो आत्म-समर्पण !


जाऊँ कहाँ, न जगह नरक में,
और स्वर्ग के द्वार न खोला !
कफ़न फाड़कर मुर्दा बोला ।

Saturday, December 10, 2011

How to get rid of boring in office


If it is very boring for you in the office, here are some tips.
Try at least few of them :

1. Form a detective agency to find out who is quitting next.

2. Make blank calls to your Boss.

3. Count your fingers (and toes if you get bored).

4. Rearrange the furniture, i.e. flick someone else chair just to irritate him/her.

5. Send mails from ms-mail to your internet mail (and immediately get to the internet and see who reaches first, you or your mail?) and read them there, and note down the time they take to reach there.

6. Watch other people changing their facial expressions while working and try changing your expressions also.

7. Try to stretch status meetings as longer as possible, just by asking silly doubts.

8. Have work breaks in between tea.

9. Have a two hour lunch; it's a big social occasion.

10. Read jokes and send jokes.

11. Revise last week's newspaper.

12. Hold "How fast my computer boots" competitions.

13. Practice aiming the coffee cup into the dustbin.

14. Compile "How to waste your day"

15. Pick up phone and dial non existing no.s

16. Make faces at strangers in office.

17. Count maximum no of applications your computer can open at a time.

18. For Win NT/95 users....Move things to Recycle bin and restore them.. Then repeat this process.

19. Look at someone & try to imagine how(s) he might have looked when(s) he was 5 years old.

20. Learn to whistle.

21. Make full use of the comfortable chair and table provided and take a nap.


And if you are still getting bored:

22. Fwd this mail to everyone u know

Wednesday, December 7, 2011

Patni Chalisa



नामो-नामो पत्नी महारानी, 

तुम्हारी महिमा कोई ना जानी... || 1 || 



हमने समझा तुम अबला हो, 

पर तुम तो सबसे बड़ी बला हो... || 2 || 


जिस दिन हाथ मे वेलन आवे, 

दिन पति खूब चिल्लावे.... || 3 || 


सारे बेड पे पत्नी सोवे, 

पति बैठ सोफा पर रोवे.... || 4 || 


तुमसे ही घर मथुरा काशी, 

और तुमसे ही घर सत्यानासी... . || 5 || 


पत्नी चलीसा जो न गावे, 

सब सुख छोड़ परम दुख पावे...... || 6 || 


या पत्नी चालीसा पढ़कर, जो नर हसके रोवे, 

उसी का बेड़ा पार होवे !! || 7 ||

Friday, November 18, 2011

I want to go back.

I WANT TO GO BACK TO THE TIME

When GETTING HIGH Meant On A SWING,
Not PROMOTIONS.


When DRINKING Meant RASNA ORANGE,
Not BEERS Or WHISKEYS.


When DAD Was The Only HERO,
Not DEPP Or TOM.


When LOVE Was MOM’S HUG,
Not the GIRL / BOY-FRIENDS’.


When DAD’S SHOULDER Was The HIGHEST PLACE On The Earth,
Not Your DESIGNATION.


When Your WORST ENEMIES Were Your SIBLINGS,
Not Your MANAGER.


When The Only Thing That Could HURT Were BLEEDING KNEES,
Not The TEARS Falling Down Your Cheeks.


When The Only Things BROKEN Were TOYS,
Not The DYING HEARTS.


And When GOOD-BYES Meant TILL TOMORROW,
Not For YEARS & YEARS.

Saturday, November 5, 2011

MAI TUMHE PYAR NA DE PAUNGA – KUMAR VISHWAS


ओ कल्पव्रक्ष की सोनजुही..
ओ अमलताश की अमलकली.
धरती के आतप से जलते..
मन पर छाई निर्मल बदली..
मैं तुमको मधुसदगन्ध युक्त संसार नहीं दे पाऊँगा
तुम मुझको करना माफ तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा.
तुम कल्पव्रक्ष का फूल और
मैं धरती का अदना गायक
तुम जीवन के उपभोग योग्य
मैं नहीं स्वयं अपने लायक
तुम नहीं अधूरी गजल सुभे
तुम शाम गान सी पावन हो
हिम शिखरों पर सहसा कौंधी
बिजुरी सी तुम मनभावन हो.
इसलिये व्यर्थ शब्दों वाला व्यापार नहीं दे पाऊँगा
तुम मुझको करना माफ तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा
तुम जिस शय्या पर शयन करो
वह क्षीर सिन्धु सी पावन हो
जिस आँगन की हो मौलश्री
वह आँगन क्या व्रन्दावन हो
जिन अधरों का चुम्बन पाओ
वे अधर नहीं गंगातट हों
जिसकी छाया बन साथ रहो
वह व्यक्ति नहीं वंशीवट हो
पर मैं वट जैसा सघन छाँह विस्तार नहीं दे पाऊँगा
तुम मुझको करना माफ तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा
मै तुमको चाँद सितारों का
सौंपू उपहार भला कैसे
मैं यायावर बंजारा साँधू
सुर श्रंगार भला कैसे
मैन जीवन के प्रश्नों से नाता तोड तुम्हारे साथ सुभे
बारूद बिछी धरती पर कर लूँ
दो पल प्यार भला कैसे
इसलिये विवष हर आँसू को सत्कार नहीं दे पाऊँगा
तुम मुझको करना माफ तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा
तुम मुझको करना माफ तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा

Dil ki awaaj


aaj ye dil keheta hai, tu ab laut chal
guzarti nahin hai, meri koi bhi pal
mujhko yahaan se le chal
aaj ye dil keheta hai, tu ab laut chal
woh manzil yahaan nahin milegi
jise tujhe talash hai
woh manzar yahaan nahin dikhega
jo tere dil ke aas paas hai
milti nahin hai mujhe yahaan koi bhi hal
mujhko yahaan se le chal
aaj ye dil keheta hai, tu ab laut chal
waise log yahaan nahin hai
jinko dhund raha hai tu
yahaan log waise nahin hai
jinse jud raha hai tu
na banegi yahaan mere sapno ka mahal
mujhko yahaan se le chal
aaj ye dil keheta hai, tu ab laut chal

TUM NA AAYI – KUMAR VISHWAS


तुम अगर नहीं आयीं…गीत गा ना पाऊँगा.
साँस साथ छोडेगी सुर सजा ना पाऊँगा..
तान भावना की है..शब्द शब्द दर्पण है..
बाँसुरी चली आओ..होट का निमन्त्रण है..
तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है..
तीर पार कान्हा से दूर राधिका सी है..
दूरियाँ समझती हैं दर्द कैसे सहना है..
आँख लाख चाहे पर होठ को ना कहना है
औषधी चली आओ..चोट का निमन्त्रण है..
बाँसुरी चली आओ होठ का निमन्त्रण है
तुम अलग हुयीं मुझसे साँस की खताओं से
भूख की दलीलों से वक़्त की सजाओं ने..
रात की उदासी को आँसुओं ने झेला है
कुछ गलत ना कर बैठे मन बहुत अकेला है
कंचनी कसौटी को खोट ना निमन्त्रण है
बाँसुरी चली आओ होठ का निमन्त्रण है

Puraani kashti ko paar lekar


Puraani kashti ko paar lekar, fakat hamaara hunar gaya hai
Naye khewaiye kahin na samjhein, nadi ka paani utar gaya hai
Tum hoshmandi ke oonche daawe, kissie munaasib jagah pe karte
Ye maikda hai yahan se koi, kahin gaya bekhabar gaya hai
Na khwaab baaki hain manzilon ke, na jaankaari hai rahgujar ki
Fakir-man to bulandiyon ke shikhar pe jaakar thahar gaya hai
Hua tajurba yahi safar mein, woh rail ka ho ke zindagi ka
Agar mila bhi haseen manzar, palak jhapakte gujar gaya hai
Udaas chehre ki jhurriyon ko, barasti aankhein bata rahi thi
Hamaare sapnon ko sach banaane, jigar ka tukda shahar gaya hai
mere baare mein kuchh na poochho, purani masti abhi jawa hai
Ki bazm-e-yaara mein sab gujaari, pata nahin ab kidhar gaya hai

Thursday, November 3, 2011

New Shayari of Kumar Vishwas

  •  
  • Meri Aakhon Me Mohabbat Ki Chamak Aaj Bhi Hai…Halanki Usko Mere Pyar Par Shaq Aaj Bhi Hai
    Naav Par Baithkar Dhoye The Usne Hath Kabhi, Poore Talaab Me Mehandi Ki Mehak Aaj Bhi Hai.
  • Badalne Ko To Inn Aankhon Ke Manjar Kam Nahi Badle, Tumhari Yaad Ke Mausam Humare Gam Nahi Badle,
    Tum Agle Janm Me Humse Milogi Tab Ye Manogi….Jamane Aur Sadi Ki Iss Badal Me Hum Nahi Badle..
  • Panaho Me Jo Aaya Ho To Uspar Waar Kya Karna, Jo Dil Hara Hua Ho…Uspe Phir Adhikaar Kya Karna,
    Mohabbat Ka Mazaa To Dubne Ki Kasmkash Me Hai….Jo Maloom Ho Gehraai To Dariya Paar Kya Karna..
  • Koi Manzil Nahi Jachti, Safar Achcha Nahi Lagta…Agar Ghar Laut Bhi Aaun To Ghar Achcha Nahi Lagta…
    Karun Kuch Bhi Mai Ab Duniya Ko Sab Achcha Hi Lagta Hai, Mujhe Kuch Bhi Tumhare Bin Magar Achcha Nahi Lagta.
  • Sada To Dhoop Ke Hatho Me Parcham Nahi Hota, Khushi Ke Ghar Me Bhi Bolo Kabhi Kya Gam Nahi Hota?
    Fakat Ek Aadmi Ke Waste Jag Chhodne Walo, Fakat Uss Aadmi Se Ye Jamana Kam Nahi Hota.

Wednesday, November 2, 2011

Ye Zindagi

Zindagi Dene Vale Marta Chod Gaye
Apnapan Jatane Vale Tanha Chod Gaye
Jab Padi Jarurat Hume Apne Humsafar Ki
Vo Jo Saath Chalne Vale Apna Rasta Mod Gaye…
`
Zindagi Ka Safar Toh Ek Haseen Safar Hai
Her Kisii Ko Kisii Na Kisii Ki Talash Hai
Kisii Ke Pass Manzil Hai Toh Raah Nahi
Aur Kisii Ke Pass Rah Hai Toh Manzil Nahi…
 
`
Vishwas Banke Log Zindagi Main Aatey Hai
Khwab Banke Aankhon Main Samaa Jaatey Hai
Pehle Yakeen Dilate Hai Ki Woh Hamare Hai
Phir Na Jaane Kyu Badal Jaatey Hai…
`
Zindagi Hai Nadan Isiliye Chup Hoon,
Hoth Keh Nahi Sakte Jo Fasana Dil Ka,
Shayad Nazron Se Vo Baat Ho Jaye,
Is Ummid Se Karte Hain Intezar Raat Ka,
Ke Shayad Sapne Me Mullakat Ho Jaye…
`
Jindagi Kisi Ki Amanat Nahi Hoti,
Amanat Main Kabhi Kayamat Nahi Hoti,
Dil Ko Sambhal Kar Rakhna,
Meri Dosti Ki Kaid Main Jamanat Nahi Hoti.
`
Dil Chahta Hai Tumse Pyari si Baat Ho,
Khamosh Taraane Hon, Lambi si Raat Ho,
Fir Unse Raat Bhar Yahi Meri Baat Ho,
Tum Meri Jindgi Ho,Tum Hi Meri Kaynaat Ho.
`
Roye Hai Buhat Tab Zara Karaar Mila Hai.
Is Jahan Mein Kise Bhala Sacha Pyaar Mila Hai.
Guzar Rahi Hai Zindagi Imtehan Ke Daur Se.
Ek Khatam Hua Toh Dusra Tayar Mila Hai…

Aaj Bhi Hai . . .



Uski Aankhon Me Mohabbat Ki Chamak Aaj Bhi Hai..
Haalanki Use Meri Mohabbat Par Shak Aaj Bhi Hai..

Naav Me Baith Kar Dhoye The,Hath Usne Kabhi..
Poore Taalab Me Mehandi Ki Mehak Aaj Bhi Hai..

Chhu To Nahi Paya Use Pyar Se Kabhi..
Par Mere Hooton Par Uske Hooton Ki Jhalak Aaj Bhi Hai.

Har Baar Puchte Hai, Humari Chahat Ka Sabab..
Waisi Hi Ishq Ki Ye Parak Aaj Bhi Hai..

Nahi Reh Pate Wo Bhi Humare Bina.
Dono Taraf Ishq Ki Dahak Aaj Bhi Hai.

Karwan Gujar Gaya Gubaar Dekhte Rahe

स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से
लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से
और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे।

नींद भी खुली न थी कि हाय धूप ढल गई
पाँव जब तलक उठे कि ज़िन्दगी फिसल गई
पात-पात झर गये कि शाख़-शाख़ जल गई
चाह तो निकल सकी न पर उमर निकल गई
गीत अश्क बन गए छंद हो दफन गए
साथ के सभी दिऐ धुआँ पहन पहन गये
और हम झुके-झुके मोड़ पर रुके-रुके
उम्र के चढ़ाव का उतार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे।

क्या शबाब था कि फूल-फूल प्यार कर उठा
क्या जमाल था कि देख आइना मचल उठा
इस तरफ़ जमीन और आसमाँ उधर उठा
थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा
एक दिन मगर यहाँ ऐसी कुछ हवा चली
लुट गयी कली-कली कि घुट गयी गली-गली
और हम लुटे-लुटे वक्त से पिटे-पिटे
साँस की शराब का खुमार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे।

हाथ थे मिले कि जुल्फ चाँद की सँवार दूँ
होठ थे खुले कि हर बहार को पुकार दूँ
दर्द था दिया गया कि हर दुखी को प्यार दूँ
और साँस यूँ कि स्वर्ग भूमी पर उतार दूँ
हो सका न कुछ मगर शाम बन गई सहर
वह उठी लहर कि ढह गये किले बिखरबिखर
और हम डरे-डरे नीर नयन में भरे
ओढ़कर कफ़न पड़े मज़ार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे।

माँग भर चली कि एक जब नई नई किरन
ढोलकें धुमुक उठीं ठुमक उठे चरन-चरन
शोर मच गया कि लो चली दुल्हन चली दुल्हन
गाँव सब उमड़ पड़ा बहक उठे नयन-नयन
पर तभी ज़हर भरी गाज एक वह गिरी
पुँछ गया सिंदूर तार-तार हुई चूनरी
और हम अजान से दूर के मकान से
पालकी लिये हुए कहार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे।

Ye ishq nahin aasaan



Ye kisaka tasavur hai, ye kisaka fasana hai,
Jo ashk hai aankhon mein tasbih ka dana hai,

Aankhon mein nami si hai chup-chup se vo baithe hain,
Nazuk si nigaahon mein naazuk sa fasana hai,

Ye ishq nahin aasaan bas itana to samajh lije,
Ek aag kaa dariyaa hai aur doob ke jana hai,

Yaa vo the khafa ham se ya ham the khafa unse,
kal un ka zamana tha aaj apana zamana hai

Tuesday, November 1, 2011

shohrat na ata karna maula --- Kumar Vishwas

 
 
shohrat na ata karna maula, daulat na ata karna maula

bas itna ata karna chahe jannat na ata karna maula

shammae watan ki lau par jab kurban patanga ho

hothon par ganga ho, haathon me tiranga ho

bas ek sada hi goonje sada barfeeli mast hawaon main

bas ek sada hi uthe sada jalte tapte sahraaon main

jeete ji iska maan rakhe, markar maryaada yaad rahe

hum rahe kabhi na rahe magar, iski saj dhaj aabad rahe

godhara na ho, gujrat na ho, insaan na nanga ho

hoton par ganga ho, haaton main tiranga ho

Sidhi sadi pagdandi par

सीधी -
सादी पगडंडी पर
टेढ़ी चाल जमाने की ।

एक हक़ीक़त मेरे आगे
जिसकी शक्ल कसाई-सी
एक हक़ीक़त पीछे भी है
ब्रूटस की परछाईं-सी

ऐसे में भी
बड़ी तबीयत
मीठे सुर में गाने की ।

जिस पर चढ़ता जाता हूँ
है पेड़ एक थर्राहट का
हाथों तक आ पहुँचा सब कुछ
भीतर की गर्माहट का


जितना ख़तरा
उतनी ख़ुशबू
अपने सही ठिकाने की ।

PAGLI LADKI by Dr kumar vishwas


Amawas ki kaali raaton mein dil ka darwaja khulta hai,
Jab dard ki pyaali raaton mein gum ansoon ke sang hote hain,
Jab pichwade ke kamre mein hum nipat akele hote hain,
Jab ghadiyan tik-tik chalti hain, sab sote hain, hum rote hain,
Jab baar baar dohrane se saari yaadein chuk jaati hain,
Jab unch-neech samjhane mein mathe ki nas dukh jaati hain,
Tab ek pagli ladki ke bin jeena gaddari lagta hai,
Aur us pagli ladki ke bin marna bhi bhari lagta hai……..

Jab pothe khali hote hain, jab har sawali hote hain,
Jab gazlen raas nahin aatin, afsane gaali hote hain.
Jab baasi feeki dhoop sametein din jaldi dhal jaata hai,
Jab suraj ka laskhar chhat se galiyon mein der se jaata hai,
Jab jaldi ghar jaane ki ichha mann hi mann ghut jaati hai,
Jab college se ghar laane waali pahli bus chhut jaati hai,
Jab beman se khaana khaane par maa gussa ho jaati hai,
Jab lakh mana karne par bhi paaro padhne aa jaati hai,
Jab apna har manchaha kaam koi lachari lagta hai,
Tab ek pagli ladki ke bin jeena gaddari lagta hai,
Aur us pagli ladki ke bin marna bhi bhari lagta hai………..



Jab kamre mein sannate ki awaj sunai deti hai,
Jab darpan mein aankhon ke neeche jhai dikhai deti hai,
Jab badki bhabhi kahti hain, kuchh sehat ka bhi dhyan karo,
Kya likhte ho dinbhar, kuchh sapnon ka bhi samman karo,
Jab baba waali baithak mein kuchh rishte waale aate hain,
Jab baba humein bulate hain, hum jaate hain, ghabrate hain,
Jab saari pahne ek ladki ka ek photo laya jaata hai,
Jab bhabhi humein manati hain, photo dikhlaya jaata hai,
Jab saare ghar ka samjhana humko fankari lagta hai,
Tab ek pagli ladki ke bin jeena gaddari lagta hai,
Aur us pagli ladki ke bin marna bhi bhari lagta hai……..

Didi kahti hain us pagli ladki ki kuchh aukat nahin,
Uske dil mein bhaiya tere jaise pyare jasbat nahin,
Woh pagli ladki nau din mere liye bhooki rahti hai,
Chup-chup saare vrat karti hai, par mujhse kabhi na kahti hai,
Jo pagli ladki kahti hai, main pyar tumhi se karti hoon,
Lekin mein hoon majboor bahut, amma-baba se darti hoon,
Us pagli ladki par apna kuchh adhikar nahin baba,
Yeh katha-kahani kisse hain, kuchh bhi to saar nahin baba,
Bas us pagli ladki ke sang jeena fulwari lagta hai,
Aur us pagli ladki ke bhin marna bhi bhari lagta hai…

HUNGAMA BY DR. KUMAR VISHWAS

bhramar koi kumudni par machal baitha to hungama
humare dil main koi khwab pal baitha to hungama
abhi tak dub kar sunte the jo kissa mohobbat ka
main kisse ko haqiqat main badal baitha to hungama

kabhi koi jo khulkar hans liya do pal to hungama
koi khwabon main aakar bus liya do pal to hungama
main us se dur tha to shor tha sazish hai sazish hai
use bahon main khulkar kas liya do pal to hungama

jab aata hai jiwan main khayalaton ka hungama
ye zazbaaton mulakaton hasin raaton ka hungama
jawani ke kayamat daur main ye sochate hain sab
ye hungamon ko baaten hain ya hai baaton ka hungama

kalam ko khoon main apni dubota hon to hungama
gireban apna aansun main bhigota hon to hungama
jo mujh par bhi nahi khud ki khabar woh hai jamane par
main hansata hon to hungama main rota hon to hungama

ibarat se gunahon tak ki manjil main hai hunagam
jara si pi ke aaye bus to mehfil main hai hungama
kabhi bachpan jawani aur budhape main hai hungama
jehen main hai kabhi to fir kabhi dil main hai hungama

hue paida to dharti par hua abad hungama
jawani ko humari kar gaya barbad hungama
humare bhal par taqdeer ne ye likh diya jaise
humare samne hai aur humare baad hungama

kya ajab raat thi. . .

kya ajab raat thi,kya gazab raat thi,
dansh sehte rahe,muskurate rahe,
deh ki urmiyan ban gayin bhagwat,
hum samarpan bhare arth paate rahe

man main apradh ki ek shanka liye,
kuch kriyayen hume jab hawan si lagin,
ek duje ki saanson main ghulti hui
boliyan bhi hume jab bhajan si lagin

koi bhi baat humne na ki raat bhar,
pyaar ki dhun koi gungunate rahe,
dej ki urmiyan ban gayin bhagwat
hum samarpan bhare arth paate rahe

poornima ki anagh chandani sa badan
mere agosh main yun pighalta raha
chodhiyon se bhare hath lipte rahe
surkh honthon se jharna sa jharta raha

ek nasha sa ajab cha gaya tha ki hum
khud ko khote rahe tum ko paate rahe,
deh ki urmiyan ban gayin bhagwat,
hum samrpan bhare arth paate rahe

aahaton se bahut dur pipal tale
weg ke vyakaran paayalon ne gadhe
saam geeton ke aaroh awroh main
maun ke chumbani suqt humne padhe

saunp kar un andheron ko sab prashn hum
ek anokhi diwali manate rahe
deh ki urmiyan ban gayin bhagwat
hum samarpan bhare arth paate rahe

Monday, October 17, 2011

Ek bar sapna dekh kar to dekho

कौन कहता हे , सपने सच नहीं होते ,

एक बार सपना देख कर तो देखो,

कभी कुछ बड़ा सोच कर तो देखो ,

आसमां को हाथो में महसूस कर के तो देखो ,

तारो को जमीन पर लाना कोई बड़ी बात नहीं ,

चाँद से दोस्ती कर के तो देखो ,

हाथ खोलकर किस्मत की बातें न करो तुम ,

एक बार मुट्ठी बंद कर के तो देखो ,

माथे की लकीरे बदल जाएँगी ,

कभी दिल से कुछ छह कर तो देखो ,

रेगिस्तान में भी फुल खिला सकते हो ,

एक बार बिज बो कर तो देखो ,

अँधेरे में भी राह ढूंढ़ लोगे ,

रौशनी की आस रख कर तो देखो ,

सपने सारे सच हो जायेंगे ,

एक बार सपना देख कर तो देखो

Main to jhaunka hoo


मैं तो झोंका हूँ हवा का उड़ा ले जाऊँगा
जागती रहना तुझे तुझसे चुरा ले जाऊँगा

हो के कदमों पे निछावर फूल ने बुत से कहा
ख़ाक में मिल के भी मैं खुश्बू बचा ले जाऊँगा

कौन सी शै मुझको पहुँचाएगी तेरे शहर तक
ये पता तो तब चलेगा जब पता ले जाऊँगा

कोशिशें मुझको मिटाने की भले हों कामयाब
मिटते-मिटते भी मैं मिटने का मजा ले जाऊँगा

शोहरतें जिनकी वजह से दोस्त दुश्मन हो गये
सब यह रह जायेंगी मैं साथ क्या ले जाऊँगा

Agnipath

Vriksh ho bhale khade,
Ho ghane, ho bade,
Ek patra chaa bhi,
Mang maat, mang maat, mang maat
Agnipath, Agnipath, Agnipath

Tu na thakega kabhi,
Tu na thamega kabhi,
Tu na mudega kabhi,
Kar shapath, kar shapath, kar shapath
Agnipath, Agnipath, Agnipath

Yeh maahan drishya hai,
Chal raha manushya hai,
Ashru, shwet, rakth se,
Lathpat, lathpat, lathpat
Agnipath, Agnipath, Agnipath

Jis Ko Tum Chaaho Wo Mohabbat...

Jis Ko Tum Chaaho Wo Mohabbat

Jo Tumhein Chaahe Us Ka Kya?

Jis K Liye Tum Roye Wo Mohabbat

Jo Tumare Liye Roye Uska KYA?

Jis K Liye Tum Tadpe Wo Mohabbat

J0 Tumhare Liye Tadpa Uska Kya?

Jis Ko Tumne Chaaha Wo Tumko Mile

Aur Jis Ko Tum Na Mile Uska Kya?

Sunday, October 9, 2011

ईमानदारी से चला दुनियाँ पर भारी हो गया

ईमानदारी से चला दुनियाँ पर भारी हो गया।
कुछ दिनों के बाद सड़कों पर भिखारी हो गया।।

सामने कुछ और कहते पीठ पीछे और कुछ।
इस कला का नाम अब तो दुनियादारी हो गया।।
दुनियाँभर के जुर्म जो ता उम्र भर करता रहा।
आज कल वो किसी मंदिर का पुजारी हो गया।।

लोग अब एहसान भी करते किसी पर इस तरह।
ज़िंदगी भर के लिये कर्ज़ा उधारी हो गया।।

ताल की इन मछलियों को क्यों नहीं विश्वास है।
आज का बगुला भगत भी शाकाहारी हो गया।।

काम कोई भी करा लो दाम देकर के यहाँ।
नाम रिश्वत का यहाँ अब समझारी हो गया।।

Friday, October 7, 2011

FIR EK CIGARETE JALA RAHA HU



Fir Ek Cigaret jala raha hu,
Fir ek teeli bujha raha hu,
Uski Nazar meye ek gunah hai,
Mai toh uske vaade bhula raha hu, 
Samajhna mat isko meri aadat,
Mai toh bas dhua uda raha hu,
Ye uski yaadon ke silsilen hai,
Mai uski yaadein jala raha hu,
Mai pee kar itna behak chuka hu,
ki gam ke kisse suna raha hu,
Agar tumhe bhi gam hai toh paas aao,
Mai pee raha hu aur pila raha hu,
Hai Meri aankhein toh aaj nam.
Magar mai sabko hasa raha hu,
Kho kar apni zindagi me
Apne Be inteha pyaar ko bhula raha hu,
Ek cigarete ki shama k bahane,
Mai apne aapko jala raha hu, 

AAJ FIR EK CIGARETE JALA RAHA HU

Tuesday, October 4, 2011

Love Letter By a Software Programmer

Ultimate Love Letter…

(By a Programmer... )
Sweetheart ,
I`ve seen you yesterday while surfing on the local train platform and realized that you are the only site I was browsing for. For a long time I`ve been lonely; this has been the bug in my life and you can be a real debugger for me now.
My life is an uncompiled program without you, which never produces an executable code and hence is useless.
You are not only beautiful by face but all your ActiveX controls are attractive as well.
Your smile is so delightful; it encourages me and gives me power equal to thousands of mainframes processing power.
When you looked at me last evening, I felt like all my program modules are running smoothly and giving expected results. /*which I never experienced before.*/
With this letter, I just want to convey to you that if we are linked together, I'll provide you all objects & libraries necessary for a human being to live an error free life.
Also don`t bother about the firewall which may be created by our parents as I've strong hacking capabilities by which I`ll ultimately break their security passwords and make them agree for our marriage .
I anticipate that nobody has already logged in to your database so that my connect script will fail.
And its all but certain that if
this happened to me, my system will crash beyond recovery.
Kindly interpret this letter properly and grant me all privileges of your inbox. Error free...


Regards,
Software Programmer
Today This company
Tomorrow That Company
But always want ur company!

Sunday, September 25, 2011

Mila Wo b nahi karte, Mila Hum b nahi karte

Mila Wo b nahi karte, Mila Hum b nahi karte
Wafa Wo b nahi karte, Wafa Hum b nahi karte



Unhein Ruswai ka Dukh, Hamein Tanhai ka Darr
Gila Wo b nahi karte, Shikwa Hum b nahi karte



Kisi Morr per Takrao ho jata hai aksar
Ruka Wo b nahi karte, Thera Hum b nahi karte



Jab b dekhte hain Unhein, Sochte hain kuch kahein unse
Suna Wo b nahi karte, Kaha Hum b nahi karte



Lekin! ye b Sach hai k Mohabbat Unhain b hai
Izhaar Wo b nahi karte, Kaha Hum b nahi karte

Monday, August 29, 2011

Bachpan ke din

Bachpan Ka ZAMANA Hota Tha,
Khush¡yon Ka KHAZANA Hota Tha,!

Chahat CHAAND Ko Paane Ki,
DiL Titly Ka DEEWANA Hota Tha,!

Rone Ki Waja Na Hoti Thi,
Hasne Ka BAHANA Hota Tha.

Khabar Na Thi Kuchh Subah Ki,
Na Shaamon Ka THiKANA Hota Tha

DAADi Ki Kahani Hoti Thi,
Pariyon Ka FASANA Hota Tha

Gham Ki Zuban Na Hoti Thi,
Na Zakhmon Ka PAYMANA Hota Tha

Barish Me Kaghaz Ki KASHTi
Hr Mosam SUHANA Hota Tha

Wo Khel Wo SAATHi Hote Thy
Hr R¡shta N¡BHANA Hota Tha!!!

Friday, August 26, 2011

Abhi Shadi ka pehla saal tha

अभी शादी का पहला ही साल था,
ख़ुशी के मारे मेरा बुरा हाल था,
खुशियाँ कुछ यूं उमड़ रहीं थी,
की संभाले नही संभल रही थी..

सुबह सुबह मैडम का चाय ले कर आना
थोडा शरमाते हुये हमें नींद से जगाना,
वो प्यार भरा हाथ हमारे बालों में फिरना,
मुस्कुराते हुये कहना की…

डार्लिंग चाय तो पी लो,
जल्दी से रेडी हो जाओ,
आप को ऑफिस भी है जाना…

घरवाली भगवान का रुप ले कर आयी थी,
दिल और दिमाग पर पूरी तरह छाई थी,
सांस भी लेते थे तो नाम उसी का होता था,
इक पल भी दूर जीना दुश्वार होता था…

५ साल बाद……..

सुबह सुबह मैडम का चाय ले कर आना,
टेबल पर रख कर जोर से चिल्लाना,
आज ऑफिस जाओ तो मुन्ना को
स्कूल छोड़ते हुए जाना…

सुनो एक बार फिर वोही आवाज आयी,
क्या बात है अभी तक छोड़ी नही चारपाई,
अगर मुन्ना लेट हो गया तो देख लेना,
मुन्ना की टीचर्स को फिर खुद ही संभाल लेना…

ना जाने घरवाली कैसा रुप ले कर आयी थी,
दिल और दिमाग पर काली घटा छाई थी,
सांस भी लेते हैं तो उन्ही का ख़याल होता है,
अब हर समय जेहन में एक ही सवाल होता है…

क्या कभी वो दिन लौट के आएंगे,
हम एक बार फिर कुंवारे हो जायेंगे !

Monday, August 1, 2011

TANHA rehna seekh raha hoon.

TANHA rehna seekh raha hoon.
Mar ke jeena seekh raha hoon.

Mang ke paana seekh liya tha.
Paa ke khona seekh raha hoon.

Madhoshi ne bohot sataya.
ab hosh me rehna sikh raha hun.

Sikhaya tha usne baate karna.
Ab chup rehna seekh raha hun.

Sabar ko apni raah bana kar.
Kaanch pe chalna seekh raha hoon.

Khoob hasaya auron ko maine.
Khud ko hasana seekh raha hoon.

Jeeney ke hain ajeeb taqazey.
Zinda rehna seekh raha hoon.

Gam ne mujh ko bohat hai khaya.
Ab gam ko khana seekh raha hoon.

Yad me uski sadiyon tak jaga.
ab chain se sona seekh raha hun.

Dosto ko bhi bhula diya tha maine.
Dushmano ko apnana seekh raha hun.

Har bar manaya usko maine.
Ab khud ko manana seekh raha hun.

Wo gayi jo mera hath chhodkar.
ab tanha chalna seekh raha hun.

Thursday, July 14, 2011

EK DIN BARISH KA..........................A SWEET COMEDY......................SENSOR BOARD HAS GIVEN.........A....CERTIFICATE

KYA GARAJ KE BARSE BADAL
JAL MAGNA HO GAYA SARA BHU-THAL
          BHIG RAHE THE HUM TO DEAR BACHNE KI LIYE AASH
          DOOR TALAK NA KOI OPTION,PAR EK PED THA PAASH
                          CHUP GAYE HUM PED KI CHAIYA KYONKI PED BADA THA GHANERA
                           TABHI ACHANAK EK KANYA KO DEKHA JO DHOONDH RAHI THI BASERA
                                     SCOOTY KO ROK WO DHEERE PAAS PED KE AAYI
                                     BHIGI TO WO PEHLE SE THI,USKO CHIK THI AAYI
USKI CHINK NE ZALIM DIL KA PANNA AISE KHOLA
HUM NA ROK SAKE KHUD KO..KAMINE MUKH NE DHIRE SE BOLA
    THODA AUR KHISAK AAO......WAHA BHIG JAOGE
    AGAR HO GAYA COLD N FEVER....DR.KO PAISE LUTAOGE
            THODA SA MUSKA KE WO THODA SA SHARMAYI
            CHAR KADAM WO MERI TARAF DHIRE DHIRE AAYI
                        BHIGA BADAN AUR GILE BAAL
                        UMAR THI USKI 17 SAAL
                             YOWAN USKA AISE KHILA THA JAISE SAMOSE MAI THUNSA AALU
                             DEKH KE USKO SHER JANGAL KA MARZI SE BAN JAYE BHAALU
 GAALO PE USKE PANI KI BUNDE PUCH RAHI THI SAWAL
 ABE KAMINE KAB TAK GHUREGA....HO JAYEGA BAWAL
            SAMNE PED KE US DEWAL PAR CHIPKA HUA THA POSTER
            NAAM FILAM KA MURDER 2 THA SERIAL KISSER THA ACTOR
                   TABHI KANYA KE MOBILE PAR AAYA EK PHONE
                   DHIRE DHIRE BAJ RAHI THI MURDER 2 KI TONE
                         KANYA NE BOLA0-JANU ...TIKET MURDER 2 KA HI LENA
                                    WARNA PICTURE DENGE CHHOR
                        SHOW SE PEHLE AA JAUNGI LAGATE HUE DOUR
DIKHNE MAI ETNI SIDHI JAISE KI MADHUBALA
PAR WO TO JAATI THI MALLIKA KI PAATHSHALA
     ROMANTIC BARISH NE KIYA BOONDO KO KAM
    ZAMNI HO GAYI GILI GAM SE...AASHMA HO GAYA NAM
         ARMANO PE LAGA KE USNE LAGA KE AAG
         KEH RAHI THI JAISE BHAAG D K BOSE BHAG
               KEHER ABHI BAAKI THA YAARO
                       BUS THODA SA LAGA THA BRAKE
               KANYA NE BOLA UNCLE
                         AAKE GADI KAR DO NA CHECK
  UNCLE NAHI BOLA THA USNE USNE DI THI GAALI
 MAN ME USKO GAALI DE KE KYA SAMJHTI S**LI
                  PHIR BHI PAROPKARI MAN NE BOLA
                                       GADI KAR DO START
                   ES TARAH KI BAATE SUNNA
                                        JIVAN KA HAI PART
     LAST ME USNE THANK YOU BOLA BINA UNCLE BOLE
     HUM NE SOCHA AKAL AA GAYI JAI HO BAM BHOLE
               WAISE TO UMAR HAMARI IMRAAN HASHMI SE BHI KAM HAI
               PAR US LADKI SE JYADA MURDER 2 KI HEROINE ME HI DUM HAI