Saturday, September 2, 2017

बचपन

बचपन लौट के नही आता।
जब भी ढूँढा यादों में पाता॥

बचपन के अजब रंग थे ।
दोस्त और मस्ती के संग थे॥

आम के पेड़ अमरूद की डाली ।
बेरों के कांटे मकड़ी की जाली॥

पापा की डांट मम्मी का प्यार।
छोटा सा बछड़ा था अपना यार॥

बारिश का पानी डूबे कीचड़ में पाँव।
बारिश के पानी में कागज की नाव।।

गुल्ली व डंडो का प्यारा सा खेल।
चोर सिपाही में होती थी जेल॥

बचपन लौट के नही आता।
जब भी ढूँढा यादों में पाता॥

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