ज़िंदगी अच्छी थी, मगर कहानी अधूरी रही,
हर खुशी के बाद बस, तन्हाई ज़रूरी रही।
किस्मत ने छीनी नहीं, बस धीरे से बदल दी,
जिस मकाँ की तलाश थी हमें, वो यादों में रही।
ज़िंदगी अच्छी थी, मगर कहानी अधूरी रही,
हर खुशी के बाद बस, तन्हाई ज़रूरी रही।
किस्मत ने छीनी नहीं, बस धीरे से बदल दी,
जिस मकाँ की तलाश थी हमें, वो यादों में रही।
ज़िन्दगी से लम्हे चुरा, बटुए मे रखता रहा!
फुरसत से खरचूंगा, बस यही सोचता रहा।
उधड़ती रही जेब, करता रहा तुरपाई
फिसलती रही खुशियाँ, करता रहा भरपाई।
इक दिन फुरसत पायी, सोचा .......खुद को आज रिझाऊं
बरसों से जो जोड़े, वो लम्हे खर्च आऊं।
खोला बटुआ..लम्हे न थे, जाने कहाँ रीत गए!
मैंने तो खर्चे नही, जाने कैसे बीत गए !!
फुरसत मिली थी सोचा, खुद से ही मिल आऊं।
आईने में देखा जो, पहचान ही न पाऊँ।
ध्यान से देखा बालों पे, चांदी सा चढ़ा था।
था तो मुझ जैसा, जाने कौन खड़ा था।
हम लोग भी कितने अजीब है...
निशानियाँ तो महफूज रखते है और लोगों को खो देते है।
वो दुश्मन बनकर मुझे जीतने निकले थे,
दोस्ती कर लेते तो मैं खुद ही हार जाता🙏🙏
अकेले हैं वो और झुँझला रहे हैं
मिरी याद से जंग फ़रमा रहे हैं
ये कैसी हवा-ए-तरक़्क़ी चली है
दिए तो दिए दिल बुझे जा रहे हैं
मैं उस समय मे वापस जाना चाहता हूँ....
👉जहां ड्रिंक का मतलब सिर्फ "रसना" था
👉जहाँ सिर्फ "पापा" हीरो थे, अमिताभ नही
👉जहाँ माँ का प्यार ही असली प्यार होता था
👉जहाँ सबसे बड़ी दुश्मन मेरी बहन होती थी
👉जहाँ सबसे ऊंची जगह मेरे पापा के कंधे थे
👉जहाँ सिर्फ खिलौने टूटते थे कभी दिल नहीं