हम लोग भी कितने अजीब है... निशानियाँ तो महफूज रखते है और लोगों को खो देते है।
वो दुश्मन बनकर मुझे जीतने निकले थे, दोस्ती कर लेते तो मैं खुद ही हार जाता🙏🙏
अकेले हैं वो और झुँझला रहे हैं मिरी याद से जंग फ़रमा रहे हैं
ये कैसी हवा-ए-तरक़्क़ी चली है दिए तो दिए दिल बुझे जा रहे हैं