Friday, August 20, 2010

गिरना ही मुख्य नहीं, मुख्य है संभलना

मानता हुँ और सब हार नहीं मानता
अपनी अगाति आज भी मैं जानता
आज मेरा भुकत्योजित हो गया है स्वर्ग भी
लेके दिखा दुंगा कल मैं ही अपवर्ग भी

तन जिसका हो मन और आत्मा मेरा है
चिन्ता नहीं बाहर उजेला या अंधेरा है
चलना मुझे है बस अंत तक चलना
गिरना ही मुख्य नहीं, मुख्य है संभलना

गिरना क्या उसका उठा ही नहीं जो कभी
मैं ही तो उठा था आप गिरता हुँ जो अभी
फिर भी ऊठुँगा और बढ़के रहुँगा मैं
नर हुँ, पुरुष हुँ, चढ़ के रहुँगा मैं

चाहे जहाँ मेरे उठने के लिये थोर है
किन्तु लिया भार आज मेने कुछ और है
उठना मुझे ही नहीं बस एक मात्र रीते हाथ
मेरा देवता भी और ऊंचा उठे मेरे साथ

1 comment:

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया.

एक निवेदन:

कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये

वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:

डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>
इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..जितना सरल है इसे हटाना, उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये.