Friday, April 23, 2010

Aisi apni Wife ho

5'5" jiski height ho,
Chehra jiska bright ho,

Weight mein thori light Ho,
Umer mein difference slight ho,

Thori see wo quiet ho,
Tu memorable her ek night ho~

Aisi apni Wife ho..................

Saas ki khidmat jiski khwahish ho
Beauty multiply by Twice ho,
mom dad ki choice ho,

Aisi apni Wife ho..................

Padosi jab baat kare tu,
haath me uskay knife ho.
Dinner candle light ho,
Tu Delecious har ek Bite ho,
Dono mein na kabhi fight ho,
Milne k baad dil delight ho..

Aisi apni Wife ho..................

Ankhain uski jaisay...sunny Twilight ho!
Honton ko dekh ker lagay...jaisay coke diet ho
Jab saari pehn k niklay tu kya sight ho,
Aisa lagay jaisay switzerland ki flight ho,
Favourite colour white ho,
make-up thora light ho
Zulfain Dynamite hoon..
Basant mein jaisay ur rahi koi kite ho !

Aisi apni Wife ho..................

Kaash yeh concept 100% right ho
agar aisi apni wife ho
tu kya haseen life ho
Batoon mein garmaish ho
har kisi ki yahi farmaish ho
kudrat ki bhi aazmaish ho
Defense ki rehaaish ho,
Kise ki bhi na look-a-like ho,


Aisi apni Wife ho..................
Aisi apni Wife ho..................

Aankh chal gayi ... By Shail Chaturvedi

वैसे तो एक शरीफ इंसान हूँ

आप ही की तरह श्रीमान हूँ

मगर अपनी आंख से

बहुत परेशान हूँ

अपने आप चलती है

लोग समझते हैं -- चलाई गई है

जान-बूझ कर मिलाई गई है।


एक बार बचपन में

शायद सन पचपन में

क्लास में

एक लड़की बैठी थी पास में

नाम था सुरेखा

उसने हमें देखा

और बांई चल गई

लड़की हाय-हाय

क्लास छोड़ बाहर निकल गई।


थोड़ी देर बाद

हमें है याद

प्रिंसिपल ने बुलाया

लंबा-चौड़ा लेक्चर पिलाया

हमने कहा कि जी भूल हो गई

वो बोल - ऐसा भी होता है भूल में

शर्म नहीं आती

ऐसी गंदी हरकतें करते हो,

स्कूल में?

और इससे पहले कि

हकीकत बयान करते

कि फिर चल गई

प्रिंसिपल को खल गई।

हुआ यह परिणाम

कट गया नाम

बमुश्किल तमाम

मिला एक काम।


इंटरव्यूह में, खड़े थे क्यू में

एक लड़की थी सामने अड़ी

अचानक मुड़ी

नजर उसकी हम पर पड़ी

और आंख चल गई

लड़की उछल गई

दूसरे उम्मीदवार चौंके

उस लडकी की साईड लेकर

हम पर भौंके

फिर क्या था

मार-मार जूते-चप्पल

फोड़ दिया बक्कल

सिर पर पांव रखकर भागे

लोग-बाग पीछे, हम आगे

घबराहट में घुस गये एक घर में

भयंकर पीड़ा थी सिर में

बुरी तरह हांफ रहे थे

मारे डर के कांप रहे थे

तभी पूछा उस गृहणी ने --

कौन ?

हम खड़े रहे मौन

वो बोली

बताते हो या किसी को बुलाऊँ ?

और उससे पहले

कि जबान हिलाऊँ

चल गई

वह मारे गुस्से के

जल गई

साक्षात दुर्गा-सी दीखी

बुरी तरह चीखी

बात की बात में जुड़ गये अड़ोसी-पड़ोसी

मौसा-मौसी

भतीजे-मामा

मच गया हंगामा

चड्डी बना दिया हमारा पजामा

बनियान बन गया कुर्ता

मार-मार बना दिया भुरता

हम चीखते रहे

और पीटने वाले

हमें पीटते रहे

भगवान जाने कब तक

निकालते रहे रोष

और जब हमें आया होश

तो देखा अस्पताल में पड़े थे

डाक्टर और नर्स घेरे खड़े थे

हमने अपनी एक आंख खोली

तो एक नर्स बोली

दर्द कहां है?

हम कहां कहां बताते

और इससे पहले कि कुछ कह पाते

चल गई

नर्स कुछ नहीं बोली

बाइ गॉड ! (चल गई)

मगर डाक्टर को खल गई

बोला --

इतने सीरियस हो

फिर भी ऐसी हरकत कर लेते हो

इस हाल में शर्म नहीं आती

मोहब्बत करते हुए

अस्पताल में?

उन सबके जाते ही आया वार्ड-बॉय

देने लगा अपनी राय

भाग जाएं चुपचाप

नहीं जानते आप

बढ़ गई है बात

डाक्टर को गड़ गई है

केस आपका बिगड़वा देगा

न हुआ तो मरा बताकर

जिंदा ही गड़वा देगा।

तब अंधेरे में आंखें मूंदकर

खिड़की के कूदकर भाग आए

जान बची तो लाखों पाये।


एक दिन सकारे

बाप जी हमारे

बोले हमसे --

अब क्या कहें तुमसे ?

कुछ नहीं कर सकते

तो शादी कर लो

लड़की देख लो।

मैंने देख ली है

जरा हैल्थ की कच्ची है

बच्ची है, फिर भी अच्छी है

जैसी भी, आखिर लड़की है

बड़े घर की है, फिर बेटा

यहां भी तो कड़की है।

हमने कहा --

जी अभी क्या जल्दी है?

वे बोले --

गधे हो

ढाई मन के हो गये

मगर बाप के सीने पर लदे हो

वह घर फंस गया तो संभल जाओगे।


तब एक दिन भगवान से मिल के

धड़कता दिल ले

पहुंच गए रुड़की, देखने लड़की

शायद हमारी होने वाली सास

बैठी थी हमारे पास

बोली --

यात्रा में तकलीफ तो नहीं हुई

और आंख मुई चल गई

वे समझी कि मचल गई

बोली --

लड़की तो अंदर है

मैं लड़की की मां हूँ

लड़की को बुलाऊँ

और इससे पहले कि मैं जुबान हिलाऊँ

आंख चल गई दुबारा

उन्होंने किसी का नाम ले पुकारा

झटके से खड़ी हो गईं

हम जैसे गए थे लौट आए

घर पहुंचे मुंह लटकाए

पिता जी बोले --

अब क्या फायदा

मुंह लटकाने से

आग लगे ऐसी जवानी में

डूब मरो चुल्लू भर पानी में

नहीं डूब सकते तो आंखें फोड़ लो

नहीं फोड़ सकते हमसे नाता ही तोड़ लो

जब भी कहीं जाते हो

पिटकर ही आते हो

भगवान जाने कैसे चलाते हो?


अब आप ही बताइये

क्या करूं?

कहां जाऊं?

कहां तक गुन गांऊं अपनी इस आंख के

कमबख्त जूते खिलवाएगी

लाख-दो-लाख के।

अब आप ही संभालिये

मेरा मतलब है कि कोई रास्ता निकालिये

जवान हो या वृद्धा पूरी हो या अद्धा

केवल एक लड़की

जिसकी एक आंख चलती हो

पता लगाइये

और मिल जाये तो

हमारे आदरणीय 'काका' जी को बताइये

Leek par woh chalen

लीक पर वे चलें जिनके
चरण दुर्बल और हारे हैं
हमें तो जो हमारी यात्रा से बने
ऐसे अनिर्मित पन्थ प्यारे हैं

साक्षी हों राह रोके खड़े
पीले बाँस के झुरमुट
कि उनमें गा रही है जो हवा
उसी से लिपटे हुए सपने हमारे हैं

शेष जो भी हैं-
वक्ष खोले डोलती अमराइयाँ
गर्व से आकाश थामे खड़े
ताड़ के ये पेड़;
हिलती क्षितिज की झालरें
झूमती हर डाल पर बैठी
फलों से मारती
खिलखिलाती शोख़ अल्हड़ हवा;
गायक-मण्डली-से थिरकते आते गगन में मेघ,
वाद्य-यन्त्रों-से पड़े टीले,
नदी बनने की प्रतीक्षा में, कहीं नीचे
शुष्क नाले में नाचता एक अँजुरी जल;
सभी, बन रहा है कहीं जो विश्वास
जो संकल्प हममें
बस उसी के ही सहारें हैं ।

लीक पर वें चलें जिनके
चरण दुर्बल और हारे हैं,
हमें तो जो हमारी यात्रा से बने
ऐसे अनिर्मित पन्थ प्यारे हैं

Nar ho na nirash karo man ko

नर हो न निराश करो मन को
कुछ काम करो कुछ काम करो
जग में रहके निज नाम करो
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो न निराश करो मन को ।

संभलो कि सुयोग न जाए चला
कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला
समझो जग को न निरा सपना
पथ आप प्रशस्त करो अपना
अखिलेश्वर है अवलम्बन को
नर हो न निराश करो मन को ।

जब प्राप्त तुम्हें सब तत्त्व यहाँ
फिर जा सकता वह सत्त्व कहाँ
तुम स्वत्त्व सुधा रस पान करो
उठके अमरत्व विधान करो
दवरूप रहो भव कानन को
नर हो न निराश करो मन को ।

निज गौरव का नित ज्ञान रहे
हम भी कुछ हैं यह ध्यान रहे
सब जाय अभी पर मान रहे
मरणोत्तर गुंजित गान रहे
कुछ हो न तजो निज साधन को
नर हो न निराश करो मन को

Koshish karne walon ki haar nahi hoti

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।


Thursday, April 15, 2010

BHAGAVAD GITA SUMMARY (in English)

The Bhagavad Gita ("Song of God") is the essence of the Vedas and Upanishads. It is a universal scripture applicable to people of all temperaments, for all times. It is a book with sublime thoughts and practical instructions on Yoga, Devotion, Vedanta and Action. The Bhagavad Gita has influenced many great thinkers over the years.

  • Why do you worry without cause? Whom do you fear without reason? Who can kill you? The soul is neither born, nor does it die.
  • Whatever happened, happened for the good; whatever is happening, is happening for the good; whatever will happen, will also happen for the good only. You need not have any regrets for the past. You need not worry for the future. The present is happening...
  • What did you lose that you cry about? What did you bring with you, which you think you have lost? What did you produce, which you think got destroyed? You did not bring anything - whatever you have, you received from here. Whatever you have given, you have given only here. Whatever you took, you took from God. Whatever you gave, you gave to him. You came empty handed, you will leave empty handed. What is yours today, belonged to someone else yesterday, and will belong to someone else the day after tomorrow. You are mistakenly enjoying the thought that this is yours. It is this false happiness that is the cause of your sorrows.
  • Change is the law of the universe. What you think of as death, is indeed life. In one instance you can be a millionaire, and in the other instance you can be steeped in poverty. Yours and mine, big and small - erase these ideas from your mind. Then everything is yours and you belong to everyone.
  • This body is not yours, neither are you of the body. The body is made of fire, water, air, earth and ether, and will disappear into these elements. But the soul is permanent - so who are you?
  • Dedicate your being to God. He is the one to be ultimately relied upon. Those who know of his support are forever free from fear, worry and sorrow.
  • Whatever you do, do it as a dedication to God. This will bring you the tremendous experience of joy and life-freedom forever.

Tuesday, April 13, 2010

Kya baat hai....

Kitabon k panno ko palatkar sochta hu....

k palat jaaye meri zindgi to kya baat hai..................



Khawabon main roj milti hai jo..........

Hakikat main mil jaaye to kya baat hai..............,


kuch matlab k liye dhundte hain............

Bin matlab k mile jo mujhe to kya baat hai.................,


Katal kar k to sab le jaayenge dil mera......

koi baaton se le jaaye to kya baat hai....................,


jo sharifon ki sharafat main baat na ho...........

to sharabi kah jaaye to kya baat hai...........................,



apne rahne tak to khushi dunga sabko............

jo kisi ko meri maut par khushi mil jaaye to kya baat hai............